दौलत की देवी

अरविन्द चतुर्वेद : 
मायावती दलित की बेटी होने के विशेषण का इजहार करते हुए अपने विरोधियों को सियासत के मैदान में चुनौती देती हैं और विरोधी जवाब में उन्हें दौलत की बेटी के विशेषण से नवाजा करते हैं। दोनों ही विशेषण अपनी जगह सौ फीसदी सही हैं। मायावती जन्मना दलित की बेटी हैं और कर्मणा वह दौलत की बेटी बन चुकी हैं। बेचारी उत्तर प्रदेश की जनता चाहे तो उन्हें दौलत की देवी कह ले! बसपा की मुखिया मायावती ने मुख्यमंत्री की हैसियत से प्रदेश वासियों की झोली में चाहे कुछ दिया हो या न दिया हो, लेकिन इतना तो बड़े भरोसे से कहा जा सकता है कि सूखा और बाढ़ की चक्की में पिसते प्रदेश की गरीब जनता ने उन्हें करोड़पति बना दिया है। वह भी कोई छोटा-मोटा करोड़पति नहीं, ऐसा करोड़पति जो तेजी से अरबपति होने की राह पर चल रहा है। महज दो बरस में उनकी सम्पत्ति में 34 करोड़ का इजाफा हुआ है। उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के लिए द्विवार्षिक चुनाव का नामांकन करते हुए दलित की बेटी मायावती ने अपनी सम्पत्ति का जो ब्यौरा दिया है, उसके मुताबिक उनकी दौलत पिछले तीन सालों में 52 करोड़ रूपए से बढ़कर 87 करोड़ रूपए हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि उनकी हर महीने की औसत आमदनी लगभग तीन करोड़ रूपए के बराबर रही। अपने आप में यह कम दिलचस्प नहीं है कि इन बरसों में जब समूची दुनिया समेत अपने देश की अर्थव्यवस्था भी घनघोर मंदी के भंवर में ऊभचूभ कर रही थी और बड़े-बड़े उद्यमियों के पसीने छूट रहे थे, तब भी मायावती की दौलत का ग्राफ उत्तरोत्तर ऊंचाई की सीढि.यां चढ़ता रहा। इसका एक अर्थ तो यही हुआ कि जनता की सेवा और प्रदेश के निर्माण का जो पारिश्रमिक है, उस पर आर्थिक मंदी और सूखा-बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रकोप का कोई असर नहीं पड़ता। मायावती ने विधानपरिषद के नामांकन में अपनी चल-अचल सम्पत्ति का जो विवरण दिया है, उसके मुताबिक उनके पास 12 लाख, 95 हजार रूपए की नगदी है। बैंक एकाउंट में 11 करोड़ 39 लाख 3 हजार रूपए जमा हैं। इसके अलावा उनके पास 1034.260 ग्राम सोना और 86 लाख 8 हजार रूपए कीमत का 380.17 कैरेट का हीरा है। उनके पास 18.500 किलोग्राम वजन का चांदी का डिनर सेट है, जिनकी कीमत 91.24 लाख रूपए है। मायावती हैं तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मगर दिल्ली के कनॉट प्लेस में दो करोड़ पांच लाख की उनकी एक बिल्डिंग है। कनॉट प्लेस में ही एक करोड़ 27 लाख रूपए की एक और बिल्डिंग है। इसके अलावा दिल्ली में ही 15 करोड़ 50 लाख रूपए का कम्यूनिटी सेंटर औरएसपी मार्ग पर 54 करोड़ 8 लाख रूपए की अचल सम्पत्ति है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नेहरू रोड पर एक करोड़ 79 लाख 92 हजार रूपए कीमत की अचल सम्पत्ति है। बहरहाल, वैभव के इस विवरण के सामने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की कुल 50 लाख डालर की सम्पत्ति को रखकर देखें तो लगेगा कि अमीरी के मामले में वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के आगे कहीं नहीं ठहरते। क्या इसका एक अर्थ यह नहीं निकलता कि अमेरिका की तरह जिन देशों के शासनाध्यक्षों की सम्पत्ति संतुलित व सामान्य है, वे देश तो विकास करते हैं, मगर जिस देश के प्रदेशों के मायावती, जयललिता और मधु कोड़ा सरीखे तेजी से अमीर होने वाले मुख्यमंत्री हुआ करते हैं, वहां उत्तर प्रदेश-तमिलनाडु-झारखंड जैसे विकास के मोहताज, दर-दर की ठोकर खानेवाले राज्य दिखाई देते हैं। सवाल यह भी है कि किसी शासनाध्यक्ष को उसकी निजी अमीरी के आधार पर उद्यमी-पराक्रमी माना जाए या फिर उसके शासन काल में दुर्गति की दशा भोगते प्रदेश के आईने में उसे फिसडूडी और दरिद्र कहा जाए! याद ही होगा कि कुछ महीने पहले कृपालु महाराज के भंडारे में मामूली खैरात पाने की भगदड़ में मरे लोगों को मुआवजा देने के लिए पैसे न होने की बात मुख्यमंत्री मायावती ने वैसे ही सार्वजनिक की थी, जैसे अब अपनी सम्पत्ति की घोषणा की है।
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2 comments: on "दौलत की देवी"

honesty project democracy said...

यही है हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य और बेशर्म राजनेताओं के कथनी और करनी का फर्क /

L.R.Gandhi said...

अरविन्द जी यह हाथी मेरे साथी का खेल है। मनमोहन की मजबूरी माया की मौज बन गई है। बहिन जी के पास जब तक बहुमत की संख्या रूपी तुरप का पत्ता है .. हाथ को हाथी की दरकार रहेगी ही।
चर्चिल ने ठीक ही कहा था:भारत को ऐसे बदमाश,धूर्त और लुटेरों के हाथो सौंपा जा रहा है और लाखों भूखे गरीब लोगों के खून व् संताप का पाप मिस्टर एटली( ब्रिटेन पी.एम्) पर होगा।

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