एक खेल का नाम है छुपम छुपाई. छोटे बच्चों में बहुत लोकप्रिय है. हो सकता है बचपन में आपने भी खेला हो. एक बच्चा छुप जाता है और बाकी बच्चे उसे खोजते हैं. छिपा हुआ बच्चा कई तरह से चकमा देता है - आवाज़ निकाल कर या कोई चीज इधर- उधर फेंककर. लेकिन समाज और राष्ट्र के जीवन में नागरिक यही अपेक्षा करते हैं कि बड़े होकर लोग बचपन का यह खेल न खेलें - खासकर वे लोग जो सार्वजनिक जीवन में हैं, सत्ता-व्यवस्था के पुर्जे हैं या फिर सीधे-सीधे सियासत कि बागडोर जिनके हाथ में है. ऐसे लोगों से जनता यही चाहती है कि मेहरबानी करके छुपम छुपाई का खेल बच्चों के लिए ही रहने दिया जाए. क्योंकि बड़े लोग जब खेलते हैं तो लोकतंत्र आहत होता है, इन्साफ को चोट पंहुचती है और जनता के कष्ट बढ़ते हैं. वह धोखा खाती है - छली जाती है. लेकिन इसका क्या किया जाए कि कुछ लोग बूढ़े हो जाते हैं मगर छुपम छुपाई खेलने की उनकी आदत नहीं जाती.
अब जैसे कांग्रेसी नेता रहे दिल्ली से पूर्व सांसद सज्जन कुमार को ही लीजिये !1984 के सिख विरोधी दंगे में उनका जैसा क्रूर कर्म रहा, उसने उनको नाम के ठीक उलट दुर्जन साबित किया और जिसके चलते बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें टिकट देकर जनप्रतिनिधि बनाने से मना कर दिया. वही सज्जन कुमार आजकल अदालत और सीबीआई से छुपम छुपाई खेलने में लगे हैं. अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया, लेकिन क्या मजाल कि सीबीआई अदालत को उनका दीदार करा देती! सीबीआई ने अदालत से कहा कि चार बार तो हमने उनके घर पर छापा मारा, लेकिन वे ऐसे छुपे हुए हैं कि मिलते ही नहीं. सो बेहतर हो कि अदालत ऐसे सज्जन को भगोड़ा घोषित कर दे ! अदालत सीबीआई की इस आत्मसमर्पणकारी असमर्थता पर झल्ला गई. उसने सीबीआई के तौर-तरीके पर असंतोष जाहिर किया और अब दुबारा गैर जमानती वारंट जारी करके सीबीआई के निदेशक को निर्देश दिया है कि अदालत के आदेश के अनुपालन की वे खुद निगरानी करें. उधर सज्जन कुमार के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल भाग नहीं रहा है, बल्कि ऊपर की अदालत में जाने के लिए यथा संभव संवैधानिक रास्तों की तलाश में लगा है.
लेकिन क्या छुपम छुपाई खेलने वाले सज्जन कुमार अकेले खिलाड़ी हैं ? पश्चिम बंगाल से लेकर झारखंड तक विचरण करने वाले माओवादियों के मोस्ट वांटेड मोबाइल नेता किशन जी भी तो गजब का छुपम छुपाई खेल रहे हैं. वे मिडिया वालों से फोन पर बात करते हैं, प्रेस कांफ्रेंस करते रहते हैं, अपना मोबाइल नंबर भी इधर सार्वजनिक किया है, लेकिन वे किसी खुफिया एजेंसी या सुरक्षा एजेंसी की पकड़-पहुँच के बाहर हैं. वे सीधे गृह मंत्री चिदंबरम से छुपम छुपाई खेल रहे हैं.
याद होगा कि अभी कुछ ही दिनों पहले भोपाल में ऊंचे ओहदे वाले आई ए एस दम्पति के छुपम छुपाई का भेद तब खुला था, जब उनके घर से करोड़ों रूपये का अम्बार मिला. ऐसी ही कुछ कारस्तानी छत्तीसगढ़ के एक ऊंचे अफसर की भी सामने आई थी, जिसने एक पूरे गाँव के लोगों के नाम से बैंक खाता खोलकर पासबुक बनवा रखी थी और इनके जरिये करोड़ों रूपये छिपा रखा था. इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने एक तरफ गावं वालों के साथ तो दूसरी ओर सरकार के साथ छुपम छुपाई खेला. अपने उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में प्रादेशिक स्तर पर छुपम छुपाई का खेल चल रहा है. पारदर्शिता की गुहार और अदालतों की फटकार के बावजूद अगर यह नहीं रुक रहा तो क्या इसे राष्ट्रीय खेल न मान लिया जाये ! वैसे कहते हैं कि सचमुच के खेलों की राष्ट्रीय टीम के चयन में भी छुपम छुपाई खेली जाती है. छुपम छुपाई सुपर खेल है भाई !!!
3 comments: on "एक खेल का नाम है छुपम छुपाई"
bahut hi sundar ........
छुपम छुपाई...vahh bahut kub
लेकिन क्या छुपम छुपाई खेलने वाले सज्जन कुमार अकेले खिलाड़ी हैं ? पश्चिम बंगाल से लेकर झारखंड तक विचरण करने वाले माओवादियों के मोस्ट वांटेड मोबाइल नेता किशन जी भी तो गजब का छुपम छुपाई खेल रहे हैं. वे मिडिया वालों से फोन पर बात करते हैं, प्रेस कांफ्रेंस करते रहते हैं, अपना मोबाइल नंबर भी इधर सार्वजनिक किया है, लेकिन वे किसी खुफिया एजेंसी या सुरक्षा एजेंसी की पकड़-पहुँच के बाहर हैं. वे सीधे गृह मंत्री चिदंबरम से छुपम छुपाई खेल रहे हैं.....................bahut hi staik likha hai app ne...badhai svikare
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